हेलो दोस्तो आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग पर और आज मैं आपके लिए लेकर आया हु भक्तो की कथा में सदन कसाई की कथा लेकर आया हूं जो मैंने कथा सत्संग में सन्तो के द्वारा सुनी थी वही आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ तो चलिए शुरू करते है।
भक्तो की कथा में सदन कसाई की कथा भक्ति की शक्ति
भारत भूमि सन्तो भक्तो की भूमि है जहां पर समय समय पर कई भक्तो ने अवतरण लिया है उन्ही में से एक है सदन कसाई जिन पर जगन्नाथ जी की बहुत कृपा है।
सदन जी कसाई जाती के थे और मांस बेचकर अपने और अपने परिवार का पालन किया करते थे।
लेकिन वो भगवत भक्त भी थे और हर पल भगवान के गुणों का गान किया करते थे।
ये संस्कार उनको पूर्व जन्म के कारण मिले थे क्योंकि वो पिछले जन्म में एक ब्राह्मण थे।
और भगवान की भक्ति में ही लगे रहते थे लेकिन एक अपराध के कारण उनको एक कसाई के घर पर जन्म लेना पड़ा था।
उनके पूर्व जन्म के पुण्य के कारणएक बार नदी के किनारे उनको शालिग्राम जी मिले लेकिन उसने उनको एक पत्थर समझकर अपने मांस तोलने वाले तुला में रख लिया अब वो रोज उस शालिग्राम से ही मांस तोलते थे और प्रभु का भजन भी किया करते थे।
यद्यपि उनको किसी जीव की हिंसा पसन्द नही थी पर आजीविका के लिए उनको ये करना पड़ता था।
एक बार एक ब्राह्मण ने उनको शालिग्राम से मांस को तोलते देख लिया और उसको कहा कि तू जिसका भजन गाता है उन्ही से मांस को तोल रहा है।
अरे जिसकी पूजा करनी चाहिए तू उनको इस अशुद्ध स्थान पर रखता है।
इसके बाद वो ब्राह्मण उस शालिग्राम को अपने साथ अपने घर ले जाते है।
वहां पर वो उनका अभिषेक स्नान आदि करा कर उनको फूलो से सजाते है।
लेकिन ये अब करते वक्त उनके मन मे अभिमान होता है कि जो सबको निर्मल और शुद्ध करते है मैं उन भगवान को शुद्ध कर रहा हूँ।
इस कारण भगवान उनके सपने में आकर कहते है कि मुझे तुम्हारी ये आडम्बर भरी भक्ति नही चाहिए मुझे वापिस सदन के पास छोड़ आ।
अगले दिन वो ब्राह्मण शालिग्राम जी को सदन के पास छोड़ आते है और कहते है कि इनको तो तुम्हारा साथ पसन्द है।
इसलिए ये वापिस तेरे पास आये है ।
ये सुनकर सदन ने अपने आप को बहुत कोसा की जिन भगवान की मुझे पूजा करनी चाहिए वो भगवान से मैं मांस तोलता रहा ।
फिर भी भगवान ने मेरा साथ नही छोड़ा और इसके बाद सदन कसाई ने मांस बेचना छोड़ दिया और जगन्नाथपुरी की और प्रस्थान किया।
जब रात हुई तब वो एक कुए के पास बैठे थे तब एक स्त्री ने उनको देखा और उन पर मोहित हो गयी।
उन्होंने कहा कि आप कहाँ जा रहे है।
सदन जी ने कहा कि मैं जगन्नाथपुरी जा रहा हु।
रात हो गयी इसलिए यहां विश्राम कर रहा हूँ
इस पर उस स्त्री ने कहा कि आप मेरे घर पधारिये और रात को वही पर विश्राम कीजिये और सुबह चले जायेगा।
सदन जी उनके साथ उनके घर चले गए।
जब आधी रात हुई तब उस स्त्री ने अपने पति को सोता देखकर सदन जी के पास गई और उसके अपने मन की बात बताई की वो उससे प्रेम करने लगी है।
तब सदन जी ने कहा कि ये सब आपको शोभा नही देता।
उस स्त्री ने सोचा कि शायद मेरे पति के कारण ये सकुचा रहे है तो उसने अपने पति का गला काट दिया।
और बाहर आकर बोली कि तुम मेरे पति की वजह से सकुचा रहे थे ना मैन अपने पति को मार दिया है अब हमारे बीच मे कोई नही।
ये सुनकर सदन जी ने कहा कि ये तुमने क्या किया।
मैं तुमसे प्रेम नही करता।
ये सुनकर उस स्त्री ने शोर मचाना शुरू कर दिया।
की इसने घर मे चोरी करने के उद्देश्य से मेरे पति को मार दिया।
गांव वाले वहां आये और सदन कसाई को बहुत मारा और उसके दोनों हाथ काट दिए।
इतना सब होने पर भी उसने सोचा मि शायद ये मेरे पिछले जन्म का कोई पाप का फल होगा।
वो फिर जगन्नाथ जी के धाम के निकट पहुंच गए।
जगन्नाथ जी अपने मन्दिर के पुजारी के सपने में आकर बोले कि मेरा एक भक्त आया है उसके दोनों हाथ कटे हुए है।
तुम उनको यहां लेकर आओ इसके बाद मंदिर के पुजारी सदन जी को पालकी में लेकर गए।
मन्दिर में पहुंच कर जब जगन्नाथ जी का नाम सदन जी ने लिया तो उनके दोनों हाथ वापिस आ गए।
भगवान ने उनको दर्शन देकर कहा कि अब तुम्हारे पिछले जन्म के पाप नष्ट हो गए।
तुम पिछले जन्म में एक ब्राह्मण थे तुम नित्य मेरी पूजा औरभजन किया करते थे।
माता शबरी की कथा
12 महाजन कौन है ?
महाराजा चक्रवेंण कौन है और रावण ने उनको कर (tax) क्यों दिया?
एक दिन तुम माला जप कर रहे थे तभी तुम्हारे सामने से एक गाय भागी उसके पीछे एक आदमी भी आया उसने तुमसे पूछा कि वो गाय कहाँ गयी तब तुमने हाथ से इशारा करके उस आदमी को गाय का पता बता दिया इसके बाद उस आदमी ने उस गाय को पकड़कर मार दिया इसकारण तुम्हारे हाथ कटे।
और वो गाय इस जन्म में उस स्त्री के रूप में आई और वो कसाई उसके पति के रूप में आया।
उसने अपने पति का गला काट कर अपने पिछले जन्म का कर्म पूरा किया।
तो ये थी कहानी भक्त सदन जी की।
दोस्तो आपको भगवान के भक्तो की और भी कथा जाननी है या आप किसी भक्त की कथा पढना चाहते है तो मुझे कॉमेंट करे
Super nice line bro
Thanks