Ganesha chaturthi 2020 गणेश चतुर्थी कब है? और इसकी पूजन विधि क्या है?
भारत भूमि पर पूरे वर्ष भर कई त्यौहार मनाए जाते है।
इस लिए हमारे देश को त्योहारों का भी देश कहा जाता है।
उन्ही त्योहारों में से एक है गणेश चतुर्थी( Ganesha Chaturthi 2020) दोस्तो ये त्यौहार भारत के महाराष्ट्र और कई राज्यो में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
महाराष्ट्र में ये सबसे ज्यादा मनाया जाता है।
इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी को अपने घर मे लाया जाता है और 11 दिनों तक गणेश जी की पूजा की जाती है।
फिर उनका 11वें दिन विसर्जन किया जाता है।
कुछ लोग 1 दिन तक गणेश जी की पूजा करते है और फिर विसर्जन कर देते है।
कुछ लोग 3 ,5 और 7 दिन तक पूजा करके विसर्जन करते है।
जब गणेश जी को घर पर लाया जाता है तो बहुत ही हर्षोल्लास के साथ ढोल और नगाड़ो के साथ उनको बड़ी श्रद्धा के साथ उनको अपने घर पर लाया जाता है।
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कैसे होती है गणेश जी की पूजा?
सबसे पहले गणेश चतुर्थी (Ganesha Chaturthi 2020) के दिन किसी दुकान या अपने हाथों से बनाई गई गणेश जी की प्रतिमा (मूर्ति) को ढोल नगाड़ों के साथ लाया जाता है।
फिर गणेश प्रतिमा की स्थापना से पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन कर एक आसन पर बैठना है ।
फिर तिलक लगा कर एक लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछा कर उस पर गणपति जी को स्थापित किया जाता है।
फिर उनके दोनों और रिद्धि सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक एक सुपारी रखनी चाहिए।
उसके बाद गणेश जी को स्नान कराना चाहिए।
उनको स्नान कराने के लिए एक कटोरी में जल ले लीजिए ।
फिर उस कटोरी में थोड़ा गंगाजल डाल दीजिए।
अब आपको पहले पंचामृत को बना लेना है।
जिसके लिए आपको दूध दही शहद चीनी और घी को मिला लेना है।
अब जो गंगाजल का पानी है उसमें थोड़ी दूर्वा रखनी है।
उस दूर्वा से गणेश जी को स्नान करना है।
उसके बाद पंचामृत से भी स्नान कराना है।
फिर वापिस से जल से स्नान कराना है।
अगर आपके घर पर चांदी या पत्थर की मूर्ति है तो उनको पूर्ण स्नान कराएं।
अगर मिट्टी की है तो केवल गंगाजल और पंचामृत के छींटे ही दे।
अब आपको प्रतिमा को पोंछना है ।
ध्यान रहे जिससे आप गणेश जी की प्रतिमा को पोंछे वो नया कपड़ा होना चाहिए।
अब आप गणेश जी को वस्त्र पहनाइए।
अगर वस्त्र नही है तो आप मोली का टुकड़ा भी अर्पण कर सकते है।
फिर उसके बाद सुगन्धित इत्र लगाइए।
अब फूल अक्षत कुमकुम आदि से पूजा करनी चाहिए।
तदुपरान्त घी के दीपक से दीपदान और सुगन्धित धूप करनी चाहिए।
फिर भगवान गणेश को नैवेध अर्पण करना चाहिए।
उसके बाद नारियल चढ़ाना चाहिए।
फिर सभी परिवार वालो को मिलकर गणेश जी की कपूर जलाकर आरती करनी चाहिए।
फिर सभी को आरती देनी चाहिए और सभी भक्तों को गणेश जी का प्रशाद देना चाहिए।
फिर आप जब तक गणेश जी को अपने घर मे बैठाना चाहते है उतने दिन तक गणेश जी की पूजा आरती करनी है और प्रशाद बांटना है।
गणेश चतुर्थी के नियम
गणेश चतुर्थी में सबसे पहले गणेश जी की स्थापना से पहले घर को स्वच्छ करना साफ सफाई करनी बहुत जरूरी है।
हम गणेश जी को 11 दिनों के लिए अपने घर पर मेहमान बना कर लाते है।
जब हमारे घर मे कोई मेहमान आता है तो हम अपने घर को साफ सुथरा करते है ।
उसी प्रकार जब गणेश जी को घर पर लेकर आते है तो घर को साफ सुथरा करना चाहिए।
उसके बाद जब गणेश जी हमारे घर मे आ जाये उसके बाद घर मे कोई भी अशुद्ध चीज या कार्य नही होना चाहिए।
जैसे मांस मटन शराब जुआ आदि किसी भी चीज का घर मे आना वर्जित करना चाहिए।
घर मे से किसी एक सदस्य को गणेश जी का व्रत उपवास करना चाहिए।
उसको उपवास में केवल एक समय का भोजन करना चाहिये।
वो भी भगवान गणेश जी को भोग लगाकर खाना चाहिए।
गणेश जी को मोदक और लड्डू बहुत पसंद है।
उसका भी भोग लगाना चाहिए।
गणेश चतुर्थी के दिन चांद को देखना वर्जित है।
अगर कोई देख ले तो उसको भगवान श्रीकृष्ण की समयन्तक मणि की कथा सुननी चाहिए।
ये कथा सुनने से उस दोष के प्रभाव कम हो जाता है।
गणपति बप्पा की रोज सुबह श्याम पूजा आरती और प्रशाद चढ़ाना चाहिए।
गणपति बप्पा की आरती में अपने रिश्तेदारों और आस पड़ोस के लोगो को भी बुलाना चाहिए।
फिर आरती होने के बाद सबको आरती देकर प्रशाद बांटना चाहिए।
जब भी आप गणपति विसर्जन करना चाहते है उसके पहले दिन श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा करनी चाहिए।
फिर अगले दिन अपने रिश्तेदारों सगे सम्बंधियों और पड़ोसियों को साथ मे लेकर बड़े ही धूम धाम से ढोल नगाड़ों के साथ नाचते हुए और गणपति बप्पा मोरया की ध्वनि से ले जाया जाता है।
गणपति बैठाने के बाद ये काम न करे।
दोस्तो वैसे तो कोई भी बुरा काम कभी नही करना चाहिए।
लेकिन कुछ काम ऐसे है जो लोगो की आदत बन गए है।
जैसे कि शराब पीना मांस मछली खाना जुआ खेलना।
ये सब बुरी चीजे जब तक गणपति जी घर मे है तब तक नही करना चाहिए।
हो सके तो हमेशा के लिए छोड़ देना चाहिए।
अगर हमेशा के लिए न छोड़ सके तो जब तक गणपति जी घर मे हो तब तक तो नही करना चाहिए।
आज कल के नव युवा लोग अपना पंडाल खोल कर चंदा इकठ्ठा करते है।
फिर गणपति जी के पंडाल में ही जुआ खेलते है।
और जब गणपति विसर्जन का समय आता है तब भी वो शराब पीते है।
ये सब नही करना चाहिए अगर गणपति को विराजमान करना है तो सच्ची भावना से करो लोग दिखावटी भक्ति से भगवान प्रसन्न होने के बजाए क्रोधित होते है।
गणपति महोत्सव या विनायक चतुर्थी क्यो मनाई जाती है?
वैसे तो गणपति महोत्सव गणपति गणेश जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है।
लेकिन जब हमारा देश अंग्रेजो का गुलाम था तब देश मे एकता लाने के लिए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी द्वारा इस महोत्सव की स्थापना की गई थी।
आज ये पूरे देश भर में मनाया जाता है।
इस त्योहार में सब एक होकर गणपति बप्पा का स्वागत करते है ।
इसलिए भारत को अनेकता में एकता का देश भी कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी ganesha chaturthi की कथा 2020
एक बार की बात है माता पार्वती स्नान करने गयी हुई थी और बाहर उन्होंने नंदी महाराज को पहरा देने के लिए कहा था।
और कहा था कि किसी को भी अंदर मत आने देना।
कुछ समय के बाद शिवजी वहाँ पर आए और पूछा कि माता पार्वती कहा है।
तो नन्दी जी ने कहा कि माता पार्वती जी स्नान करने गयी है।
तब शिवजी अंदर गए माता पार्वती जी ने उनसे कहा कि आप अंदर कैसे आये क्या नन्दी बाहर नही है।
क्या उसने आपको बताया नही की मैं स्न्नान कर रही हु।
तब शिवजी ने कहा कि उसने मुझे कहा था पर मुझको आपसे कुछ वार्तालाप करना था।
इस पर देवी पार्वती सोचने लगी कि वो है तो इन्ही के गण व्व इन्हें कैसे रोकेंगे।
फिर एक दिन माता पार्वती ने एक बालक प्रतिमा बनाकर उसमें प्राण डाल दिए ।
फिर माता पार्वती जी ने उस बालक को कहा कि पुत्र तुम किसी को अंदर मत आने देना मैं अंदर स्नान कर रही हूँ।
उसके बाद वो बालक उनके द्वार के बाहर पहरा देने लगे ।
तभी वहां पर भगवान शिव आये और अंदर जाने लगे बालक ने उनको रोका और कहा कि आप अंदर नही जा सकते।
तब शिवजी ने कहा कि तुम कौन हो और मुझे मेरे ही भवन में जाने से क्यों रोक रहे हो।
तब बालक बोला कि मेरी माता ने मुझको आज्ञा दी है कि मैं किसी को भी अंदर न आने दूं।
इसलिए आप अंदर नही जा सकते।
इसतरह उनकी वार्तालाप उनके युद्ध तक पहुंच गई।
दोनो में युद्ध शुरू हो गया बालक भी माता पार्वती का अंश होने के कारण बहुत शक्तिशाली था।
लेकिन शिवजी ने अपने त्रिशूल से बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया।
जब ये बात माता पार्वती को पता चली तो वो क्रोधित हो गयी और सब कुछ नष्ट करने लगी।
तब देवताओं और शिवजी के ये कहने पर की वे उनके पुत्र को पुनर्जीवित करेंगे।
ऐसा कहने से माता का क्रोध शान्त हुआ।
तब शिवजी ने उनके मस्तक की जगह हाथी का मस्तक लगाया और उनको पुनर्जीवित किया।
फिर सभी देवताओं ने उनको के वरदान और शक्तियां प्रदान की।
भगवान ने उनका नाम गणेश रखा और उनको अग्रपूजा का अधिकार प्रदान किया।
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कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
गणेश चतुर्थी 2020 ganesha chaturthi 2020 पूजा महूर्त।
पौराणिक मान्यताओं और गर्न्थो के हिसाब से गणेश जी का जन्म भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को बनाया जाता है।
इस बार ये त्योहार 22 अगस्त को मनाया जायेगा।
22अगस्त के दिन 11:06 बजे से 1:39 बजे का महूर्त है।
इस दिन सुबह 9 बजे से रात के 9:30 बजे तक चांद को नही देखना चाहते हो।
गणपति फेस्टिवल की हार्दिक शुभकामनाएं।
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